दुर्व्यसन सम्बन्धी (लत, व्यसन)
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1.1 जी.आर.गोलेछा व अन्य कुछ शोधकर्ताओं ने वर्ष 1987 ने 25 वर्षीय सेना के एक अफसर पर एक अनुसन्धान किया जोकि मादक पदार्थों के व्यसन से ग्रस्त था और उसके मन में नशामुक्ति की प्रेरणा भी शेष न थी। उसे प्रतिदिन दोनों सन्ध्याओं के समय यज्ञ करवाया गया। अंततः यज्ञ-चिकित्सा के फलस्वरूप उसकी स्थिति में अद्भुत सुधार होने लगा। जिसके परिणामस्वरूप उसकी मादक द्रव्यों पर शारीरिक निर्भरता एवं मानसिक उत्कंठा समाप्त होने लगी। यज्ञ के अनुष्ठान से उसका स्वास्थ्य, कार्य-कुशलता एवं सामाजिक सम्बन्धों में सुधार होने लगा। यह शोध व्यसन से मुक्ति में यज्ञ चिकित्सा के प्रभाव को प्रमाणित करता है।