by aakash tiwari | मार्च 15, 2023 | Blog
यज्ञ की अग्नि को जलाये रखने का प्रमुख साधन ‘समिधा’ का नाम वैदिक साहित्य में कर्मकाण्डीय ग्रंथों में स्फुट रूप से चिंतन किया गया है। यजुर्वेद में सप्त ते अग्ने समिधा1 अग्नि के लिये सात समिधाओं का उल्लेख है किन्तु नाम नहीं दिया गया है।(यजुर्वेद- 17.79) वैदिक...by aakash tiwari | मार्च 13, 2023 | Blog
मोहनभोग (स्थालीपाक) ‘होम के सब द्रव्यों को यथावत् अवश्य शुद्ध कर लेना चाहिए,अर्थात् सबको यथावत् शोध- छान देख-भाल सुधार कर, सब द्रव्योंको यथायोग्य मिला के पाक करना। जैसे कि सेरभर घी के मोहनभोगमें रत्ती-भर कस्तूरी, मासेभर केसर, दो मासे जायफल-जावित्राी, सेरभरमीठा,...by aakash tiwari | मार्च 13, 2023 | Blog
यज्ञ के उपयोगी वे समस्त पदार्थ यज्ञीय हैं जिनसे यज्ञ का अनुष्ठान किया जा सकता है। यज्ञ के आवश्यक पदार्थाें मे घृत आदि द्रवपदार्थ, हविर्द्रव्य (सामग्री), समिधा, कुण्ड, अरणी और मन्त्रादि मुख्य हैं। यज्ञवेदी, याजक, यजमान, यज्ञायुध् (यज्ञपात्र), देवता, पार्थिव सम्भार,...by aakash tiwari | मार्च 13, 2023 | Blog
स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने ऋग्वेदादि (भाष्य) भूमिका में वेदोंमें यज्ञ विधान का प्रमाण देते हुए लिखा है- समिधाग्निं दुवस्यत घृतैर्बोधयतातिथिम्।आस्मिन् हव्या जुहोतन।।1(ऋग्वेद-8.44.1, यजुर्वेद- 3.1 )समिधा से अग्नि को जलाओ और उसमें घी तथा हविर्द्रव्यों कीआहुति दो।इस...by saurabh beniwal | | सितम्बर 22, 2022 | | Blog