बैक्टीरिया वायरस और फंगस पर यज्ञ के शोध

1.1 वर्ष 2020 में कुमार व अन्य शोधकर्ताओं के वर्तमान अध्ययन का उद्देश्य उपलब्ध साहित्य को प्रस्तुत करना था जो पर्यावरण में रोगजनक सूक्ष्मजीवों यानी बैक्टीरिया, कवक और वायरस की हत्या के माध्यम से जैवक्षेत्र को बदलने के लिए हवन के सकारात्मक प्रभाव को महत्व देता है। हवन के माध्यम से धूपन का उद्देश्य अग्निहोत्र की आग में औषधीय जड़ी-बूटियों को उजागर करना था। अग्निहोत्र की आग चिकित्सा जड़ी-बूटियों या समिधाओं को छोटे -छोटे कणों में बदल रही थी जो जैव क्षेत्र को बदलने का कार्य करते हैं। हवन के माध्यम से धूपन (धुआँ करना) प्राचीन लोगों के बीच एक सामान्य सांस्कृतिक अनुष्ठान था प्रथाओं को व्यक्तियों के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए माना जाता है। इस समीक्षा में हवन के महत्व के लिए कई सुझाव दिए गए कि निकट भविष्य में जीवाणु की मात्रा, वायरस की संक्रामकता का आकलन और सत्यापन करने के लिए आवश्यक अध्ययन और फ्लू जैसे रोगों के होने की संभावना को कम करने में और ऐसे अध्ययनों की आवश्यकता है जो उन्नत तकनीकों के उपयोग से वातावरण में वायरल जीवाणुओं का अनुमान लगाते हैं।

Kumar et al., (2020)

1.2 वायुजनित जीवाणुओं को कम करने में औषधीय धुएं के प्रभावों का पता लगाने हेतु चंद्रशेखर नौटियाल व अन्य द्वारा 2007 में अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में देखा गया कि औषधीय धुएं के 1 घंटे के उपचार के बाद जीवाणुओं की संख्या में 94% से अधिक की कमी आई और औषधीय धुएं में हवा को शुद्ध या कीटाणुरहित बनाने की क्षमता है। साथ ही बंद कमरे में 24 घंटे तक Environment Cleaner रखा गया और 30 दिनों के बाद भी खुले कमरे में रोगजनक बैक्टीरिया की अनुपस्थिति रही। इस प्रकार, वर्तमान अध्ययन ने वायुजनित जीवाणुओं को कम करने में औषधीय धुएं की प्रभावशीलता के बारे में उत्साहजनक परिणाम दिखाए।

Nautiyal et al., (2007)

1.3 वर्ष 2017 में हर्ष व अन्य कुछ शोधकर्ताओं ने बैक्टीरिया और फंगस की संख्या के प्रबंधन में वास्तु होम के प्रभावों का पता लगाने हेतु तीन नए भवनों में वास्तु यज्ञ का आयोजन किया गया। Air Sampler को हवन कुंड से अलग-अलग दिशाओं में एक विशिष्ट दूरी पर रखा गया और हवन प्रक्रिया के पहले तथा प्रक्रिया के दौरान और बाद के नमूने एकत्र किए गए थे। जीवाणु (Bacteria) व कवक (Fungal) दोनों की गणना का विश्लेषण किया गया। परिणामों से पता चला कि तीनों भवनों में सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई। इस प्रकार वर्तमान अध्ययन ने जीवाणु व कवक की संख्या के प्रबंधन में वास्तु होम की प्रभावशीलता के बारे में उत्साहजनक परिणाम दिखाए।

Harsha, et al., (2017)

1.4देवगड़े व अन्य शोधकर्ताओं ने वर्ष 2020 में कोविड-19 की रोकथाम और नियंत्रण में अग्निहोत्र के प्रभावों का पता लगाने हेतु शोध किया। वायु, जल, देश, और काल के दूषित होने के कारण रोगजनकों से वातावरण दूषित हो जाता है व महामारी होती है। यज्ञ के धुएं व इसमें प्रयुक्त विभिन्न औषधीय पौधे उस वातावरण को निसंक्रमित कर देते हैं जहां यह किया जाता है और इसलिए यज्ञ SARS-CoV-2 को मिटाने में मदद कर सकता है क्योंकि यह सतह और एरोसोल पर रहता है। इस प्रकार, विभिन्न अध्ययनों ने कोविड -19 जैसे विभिन्न संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण में अग्निहोत्र की प्रभावशीलता के बारे में उत्साहजनक परिणाम दिखाए।

Deogade, (2020)