श्वसन सम्बन्धी रोग
1.1जोशी व अन्य कुछ शोधार्थियों ने वर्ष 2006 में यज्ञोपैथी का फुफ्फुसीय तपेदिक रोग में दवा के रूप में उपयोग और यज्ञ के द्वारा ही हर्बल दवा से शरीर के अंदर होने वाले प्रभाव का पता लगाने हेतु शोध किया गया। यज्ञोपैथी के माध्यम से दवा को शरीर में पहुंचाकर फुफ्फुसीय तपेदिक रोग के उपचार में कारगर माना गया तथा मौखिक या अंतःशिरा के माध्यम से हर्बल इलाज की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए गणितीय मॉडल और कंप्यूटर सिमुलेशन की मदद से भी निर्माण किया। इससे यह पता चलता है कि प्रभावित क्षेत्र में दवा का जमाव कितना है।
इस अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला कि यज्ञोपैथी के द्वारा अन्य रोगों में भी इसका प्रभाव अच्छा ही साबित होगा और भविष्य में अनुसन्धान करने के लिए नए द्वार खुले।
1.2 रघुवंशी व अन्य कुछ शोधकर्ताओं ने वर्ष 2004 में 15 तपेदिक रोगियों पर अध्ययन किया था, इस रोग के 3 रोगियों पर दवाएं प्रभावहीन हो चुकी थी। यज्ञोपैथी उपचार के बाद इन 3 रोगियों में किसी भी प्रकार का लक्षण नहीं दिखाई दिया। यज्ञोपैथी उपचार के 35-75 दिनों के बाद देखे गए विभिन्न नैदानिक मापदंडों में सुधार हुआ। रोग के लक्षणों में सुधार हुआ। एचबी [4.34%], वजन लगभग 4 किलो बढ़ गया और ईएसआर [16.59%] कम हो गया। तथा यज्ञोपैथी उपचार के 5 सप्ताह के बाद दो रोगियों ने एएफबी नकारात्मक परिणाम दिखाए।
इस अध्ययन के परिणाम से पता चला कि यज्ञोपैथी तपेदिक रोगियों के चिकित्सीय उपचार में सहायक है।
1.3 वंदना श्रीवास्तव व अन्य कुछ शोधकर्ताओं ने वर्ष 2020 में किये इस अध्ययन में हृदबृहत्ता (Mild Cardiomegaly) के साथ तीव्र फुफुसीय शोथ (Acute Pulmonary Edema) के प्रबंधन में यज्ञ थेरेपी के प्रभाव का पता लगाने हेतु रोगी को यज्ञ चिकित्सा और कुछ अन्य आयुर्वेदिक उपचारों सहित एक संकलित दृष्टिकोण (integrated approach) द्वारा निर्धारित किया गया और 2 वर्षों के बाद रोगी से प्राप्त प्रतिक्रिया के अनुसार रोगी की सभी शिकायते पूरी तरह से ठीक हो गयी।
इस प्रकार यज्ञ थेरेपी सहित Integrated approach, मृदु हृदबृहत्ता (Mild Cardiomegaly) के साथ तीव्र फुफुसीय शोथ (Acute Pulmonary Edema) के उपचार के संबंध में उत्साहजनक परिणामों को दर्शाता हैं।