अनेक वैज्ञानिकों व विद्वानों द्वारा यज्ञ पर शोध

1. यज्ञ की अग्नि पदार्थों को सूक्ष्म कर देती है, सूक्ष्मीकरण से पदार्थ की शक्ति असंख्य गुना बढ़ जाती है एवं औषधि का वह शक्तिशाली अंश उभर आता है जिसे कारणतत्व कहते हैं। स्थूल औषध की तुलना में सूक्ष्म के सामथ्र्य का अनुपात अत्यधिक बढ़ा चढ़ा होता है।

(हनीमैन के अनुसार)

2. सुगंधयुक्त पदार्थों को आग में जलाने से अनेक प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं, स्काॅटलैंड, आयरलैंड, दक्षिण अमेरिका में महामारी जैसी भयंकर रोग को दूर करने के लिए यह प्रथा प्रचलित रह चुकी है।

(प्रो. मैक्समूलर ‘फिजिकल रिलीजन’ पुस्तक में)

3. ईसा से पूर्व अरब में एक ऐसी चिकित्सा पद्धति प्रचलित थी, जो पूर्ण रूप से सुगंध (Aroma) द्वारा उपचार करने पर आधारित थी। जापान और चीन में होम को घोम कहते हैं और नित्य मंदिरों में घृत के साथ सुगंधित द्रव्य जलाकर भयंकर रोग दूर किए जाते हैं।

(इनसाइक्लोपीडिया आॅफ अल्टरनेटिव मेडिसिन एंड सेल्फ हेल्प में विस्तार पूर्वक वर्णन)

4. विभिन्न पदार्थों के जलाने से उत्पन्न धूम्रों के गुण – दोषों की जांच करके पता लगाया कि कतिपय वस्तुएं ऐसी हैं, जो अपने साधारण रूप की अपेक्षा जलने पर कहीं अधिक लाभदायक बन जाती हैं। जो वायु में छाए हुए हैजा, महामारी, क्षय, चेचक आदि के रोग- कीटाणुओं को नष्ट करती है। गन्ने की साधारण खांड की अपेक्षा मुनक्का, छुहारा, किशमिश आदि मधुर पदार्थों से जो गैस उत्पन्न होती है, उसमें कृमिनाश के अतिरिक्त पोषण का भी विशेष गुण है।

(रसायन शास्त्र के फ्रांसीसी विज्ञानवेत्ता डाॅ. त्रिले)

5. अनेक रोगों का सुगंध (Aroma) चिकित्सा द्वारा सरलता से उपचार किया जा सकता है। वे रोग हैं मुंहासे, झुर्रियां, सिबोरिया आदि चमड़ी के अनेक रोग, रक्ताभिसरण की शिथिलता, मोटापा, मांसपेशियों की कमजोरी, रोमेटिज्म, साइनोसाइटिस तथा मानसिक उदासी आदि।

(राॅबर्ट बी. टिसरेड ने ‘दा आर्ट आॅफ एरोमा थेरेपी’ नामक पुस्तक में)

6. सुगंधयुक्त रोगनाशक औषधियों के जलाने से महामारी, प्लैग और अनेक प्रकार के विषाणु जनित रोग दूर हो जाते हैं। अब ये मैं तथ्यों व प्रमाणों के आधार पर स्पष्ट रूप से कह सकता हूँ।

(कर्नल किंग, IMS सेनेटरी कमिश्नर, मद्रास ने ‘ब्यूबोनिक प्लेग’ नाम की पुस्तक में)

7. सभी विद्वान् जानते हैं की स्थूल की अपेक्षा सूक्ष्म अधिक शक्तिशाली होता है। सूक्ष्म, स्थूल में प्रवेश कर सकता है। सोने का एक छोटा टुकड़ा मनुष्य खा ले तो उस पर कोई प्रभाव न होगा, पर उसी टुकड़े को सूक्ष्म करके भस्म बनाकर खाए तो प्रथम दिन से ही उसकी गर्मी अनुभव होगी और कुछ समय में चेहरे पर लाली और शरीर में शक्ति आ जाएगी।

(डाॅ. फुंदन लाल अग्निहोत्री की पुस्तक ‘यज्ञ चिकित्सा’)

8. जलती हुई खांड (शक्करद) के धुंए में वायु शुद्ध करने की बड़ी शक्ति है। इससे हैजा, तपेदिक, चेचक इत्यादि का विष शीघ्र नष्ट हो जाता है।

(फ्रांसीसी प्रो. टिलवर्ट)

9. मैंने मुनक्का, किशमिश इत्यादि सूखे फलों को जला कर देखा है और मालूम किया है कि इनके धुएं से टाइफाइड ज्वर के कीटाणु केवल आधा घंटे में और दूसरे रोगों के कीटाणु घंटे दो घंटे में समाप्त हो जाते हैं।

(डाॅ. टाटलिट)

10. घी जलाने से कृमि रोग का नाश हो जाता है।

(फ्रांसीसी डाॅ. हेफकिन, चेचक टीके के आविष्कारक)

11. मैंने कई वर्ष की चिकित्सा के अनुभव से निश्चय किया है, कि जो महारोग औषध भक्षण करने से दूर नहीं होते, वे वेदोक्त यज्ञों द्वारा (अर्थात् यज्ञ चिकित्सा से) दूर हो जाते हैं।

(कविराज पंडित सीताराम शास्त्री)

12. मैं प्रथम 25 वर्ष तक खोज और परीक्षण के पश्चात् क्षय रोग की यज्ञ द्वारा चिकित्सा सैकड़ों रोगियों की कर चुका हूं। उनमें ऐसे भी रोगी थे, जिनके क्षत (ब्ंअपजल) कई-कई इंच लंबे थे और जिनको वर्षों सैनिटोरियम और पहाड़ पर रहने पर भी अंत में डाॅक्टरों ने असाध्य बता दिया, पर वे यज्ञ चिकित्सा से पूर्ण निरोग होकर अब अपना कारोबार कर रहे हैं।

(डाॅ. फुंदनलाल अग्निहोत्री)

13. जब यज्ञ किया जाता है तो वातावरण में प्राण ऊर्जा के स्तर में वृद्धि होती है जो कि प्रयोगों में यज्ञ से पहले और बाद में मानव हाथों की किर्लियन तस्वीरों की मदद से भी दर्ज किया गया था।

(जर्मन डाॅ. माथियास फरिंजर)

14. अनाहत चक्र (Cardiac Plexus) पर अग्निहोत्र (यज्ञ) के प्रभावों का अध्ययन किया, जिसमें यज्ञ के बाद की स्थिति वैसी ही पाई गयी, जैसी की मानसिक या आध्यात्मिक उपचार के बाद होती है।

(डाॅ. हिरोशी मोटोयामा)

15. सुगंध चिकित्सा द्वारा बुढ़ापा रोका जा सकता है।

(श्रीमती मार्ग्रेट मोरी ने ‘द सीक्रेट आॅफ लाइफ एंड यूथ’ नामक पुस्तक में)